जब तक हूँ, तब तक मेरी हो जाओ, वरना पछताओगे।
तेरे होठों को चूमने का दिल करता है, तुझे जाम समझ कर पीने का दिल करता है।
मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे
तुझसे मिलन की ज़िद भी जबरदस्त है, मौत सामने है और ज़िद बुलंद।
"काफी गहरे है उनके ज़ख्म, उनकी हसीं से पता चलता है।"
प्रेम के मायने में ये भ्रम कैसा, तुम मेरे हो तो इसमे शक कैसा?
चुपके चुपके हम तेरे होते जा रहे हैं किसी के न थे।
बड़े दिनों बाद जीने का मकसद समझ में आया तुझसे मिलने के बाद।
सिर्फ़ तुम हो जो मेरे मन के अंदर घुस के बैठे हो, वरना मैं तो खामोश हि था भीड में भी।
"खुली आँखों से देखा वही ख्वाब हो तुम, दिल में जो उतर जाय वही बात हो तुम, तेरे नाम का नशा कुछ ऐसा मुझ पे छा गया, ये ज़िंदगी तुझ पे ही लूटा गया।"
जब तक तुम सांस ले रही हो, तब तक मैं ज़िंदा हूँ।
"औरों का click here छोड़ो, मैं आजकल अपने आप से भी पूछ के मिलता हूँ।"
फ़ना निज़ामी कानपुरी टैग : तसव्वुर शेयर कीजिए
तेरे दुःख मै कुछ लोग, तेरे सुख में जमाना होगा!